जस्टिस सूर्यकांत बोले- जब तक किसी को फांसी नहीं दी जा रही हो, तब तक केस तत्काल लिस्ट नहीं होगा
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत ने बुधवार को कहा कि वह उस समय तक किसी मामले को उसी दिन तत्काल सूचीबद्ध करने का आदेश नहीं देंगे, जब तक कि किसी को फांसी न दी जा रही हो।
![]() सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत (फाइल फोटो) |
इसके साथ ही उन्होंने पूछा कि क्या कोई ‘‘न्यायाधीशों की स्थिति’’ समझता है और यह जानता है कि वे कितने घंटे काम करते हैं तथा कितने घंटे सो पाते हैं।
न्यायमूर्ति कांत उस पीठ का नेतृत्व कर रहे थे, जो तत्काल सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध करने पर विचार कर रही थी। पीठ में न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह भी शामिल थे।
भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) बी आर गवई आमतौर पर ऐसे मामलों की सुनवाई करते हैं। वह पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ में बैठते हैं। प्रक्रिया के अनुसार यदि प्रधान न्यायाधीश किसी संवैधानिक पीठ के मामले में व्यस्त हों या अस्वस्थ हों तो दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश मामलों को सूचीबद्ध करने पर सुनवाई करते हैं।
न्यायमूर्ति कांत ने यह टिप्पणी उस समय की, जब अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने उल्लेख किया कि राजस्थान में एक आवासीय मकान की आज नीलामी होगी और इसलिए मामले को आज ही सूचीबद्ध किया जाएगा।
इस पर न्यायमूर्ति कांत ने कहा, ‘‘जब तक किसी को फांसी नहीं होने वाली हो, मैं किसी भी मामले को उसी दिन सूचीबद्ध नहीं करूंगा। आप लोग न्यायाधीशों की स्थिति नहीं समझते, क्या आपको पता भी है कि वे कितने घंटे काम करते हैं और कितने घंटे सोते हैं? जब तक किसी की स्वतंत्रता दांव पर न लगी हो, हम उसे उसी दिन सूचीबद्ध नहीं करेंगे।’’
गुप्ता के लगातार आग्रह करने पर न्यायमूर्ति कांत ने पूछा कि नीलामी नोटिस कब जारी किया गया था। उन्होंने जवाब दिया कि नीलामी नोटिस पिछले सप्ताह जारी किया गया था और बकाया राशि के रूप में एक निश्चित राशि का भुगतान पहले ही किया जा चुका है।
न्यायमूर्ति कांत ने गुप्ता से कहा कि अगले कुछ महीनों तक मामले की सुनवाई की उम्मीद न करें। हालांकि, बाद में उन्होंने कोर्ट मास्टर से मामले को शुक्रवार को सूचीबद्ध करने के लिए कहा।
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