केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वोट चोरी के नए आरोप को ‘‘निराधार’’ करार दिया और कहा कि मतदाता सूचियों से नाम हटाने की घटनाएं कांग्रेस के शासनकाल में भी हुई थीं।

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रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) (आरपीआई (ए) के प्रमुख ने ‘पीटीआई-वीडियो’ से यह भी कहा कि गांधी अक्सर विरोधाभासी दावे करते हैं। आठवले ने कहा, ‘‘कभी वह कहते हैं कि मतदाताओं को जोड़ा गया और कभी वह दावा करते हैं कि मतदाताओं को हटाया गया।’’
इससे पहले दिन में लोकसभा में विपक्ष के नेता गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर ‘लोकतंत्र को नष्ट करने’ वालों को बचाने का आरोप लगाया था और कर्नाटक विधानसभा क्षेत्र के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया था कि चुनाव से पहले कांग्रेस समर्थकों के वोट व्यवस्थित तरीके से हटाये गये।
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री आठवले ने कहा, ‘‘मौजूदा सरकार के दौरान यह समस्या नहीं आई।’’
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदाताओं के नाम ऑनलाइन नहीं हटाये जा सकते। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि केवल विपक्ष को वोट देने वालों के ही नाम गायब होते हैं।
मंत्री ने कहा कि अगर गांधी के पास कोई सबूत है, तो उन्हें निर्वाचन आयोग को देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मतदाता सूचियों से नाम जानबूझकर नहीं हटाए जाते।
गांधी के इस दावे पर कि ओबीसी, अल्पसंख्यक और आदिवासी समुदायों के मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाया जा रहा है, आठवले ने कहा कि यह समाज में दरार पैदा करने की एक विभाजनकारी रणनीति है।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में, अधिकतर दलित वोट अब भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को जाते हैं तथा आदिवासी और दलित समुदाय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से उनका समर्थन कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के एक प्रमुख दलित नेता आठवले ने कहा कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकारों में क्रमशः ओबीसी और आदिवासी समुदाय से मुख्यमंत्री हैं, जबकि राजस्थान में एक ब्राह्मण मुख्यमंत्री है।
उन्होंने आरोप लगाया कि चूंकि आरक्षण का मुद्दा कांग्रेस के लिए कारगर नहीं हो रहा है, इसलिए गांधी निर्वाचन आयोग को निशाना बना रहे हैं और उसे बदनाम कर रहे हैं।
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