आपदाओं के सितम

Last Updated 18 Sep 2025 03:30:30 PM IST

मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार उत्तराखंड में बारिश से राहत मिलने के फिलहाल कोई आसार नहीं हैं। देहरादून और नैनीताल में भारी बारिश, गर्जन और आकाशीय बिजली गिरने की चेतावनी है।


आपदाओं के सितम

देहरादून के सहस्त्रधारा में बादल फटने के बाद भारी तबाही हुई है। नदियों में उफान से कई लोगों की मौत हो गई है और ढेरों लापता हैं। उत्तराखंड के कुछ इलाकों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। तेरह पुल प्रभावित बताए जा रहे हैं। ऋषिकेश में चन्द्रभागा नदी का जलस्तर सामान्य से ऊपर होने के चलते विशेष चेतावनी दी गई है।

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल जलधाराओं में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने में भारी मशक्कत कर रहा है। राज्य की सड़कें, पुल, बिजली की तारें, संचार व्यवस्था सब बुरी तरह प्रभावित होने से स्थानीय नागरिकों का जीना बेहाल है। जिन परिवारों के घर बह गए या ढह गए, उनकी रिहाइश और जीवन यापन की आवश्यकताओं को लेकर भारी दिक्कते हैं।

स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा चुकी हैं। राहत, बचाव व पुनर्वास के दावे जिस तरह सरकार करती है, जमीनी स्तर पर प्रभावित लोगों तक पहुंचना मुमकिन नहीं होता। जनता बेहाल है, जिस तक पहुंचने के साधन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। मानसून ने इस वर्ष देश के विभिन्न हिस्सों में भारी तबाही मचाई है। हिमाचल में भारी बारिश और भूस्खलन के चलते चार सौ से अधिक मौतें हो चुकी हैं। हालांकि यह मानसून का अंतिम चरण है। मगर बादल फटने या भूस्खलन ने तबाही मचाई हुई है।

बिहार के कुछ इलाके अभी भी जलमग्न हैं, और कुछ क्षेत्रों में भारी बरसात की चेतावनी है। प्रति वर्ष भारी संख्या में नागरिकों को स्वास्थ्य, बिजली, परिवहन, रिहाइश के अतिरिक्त रोजगार के संकट भी बुरी तरह जूझना पड़ता है। ये प्राकृतिक आपदाएं नहीं हैं, बल्कि मौसमी मार है, जिससे जूझने के प्रति सरकारों के पास कोई खाका नहीं है। मौसम विज्ञानियों के चेताने के बावजूद सरकारी महकमा आपदा आने तक प्रतिक्षारत रहता है।

पीड़ितों को जो या जिस तरह की राहत मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पाती। बरसाती पानी घटने या बाढ़ के बाद होने वाली जल-जनित बीमारियों, संक्रामक रोगों, मकानों, भवनों, पशुओं व रोजगार की व्यवस्था को लेकर दिन-रात एक करना मजबूरी हो जाती है।

बाढ़ व बरसात के चलते अर्थव्यवस्था व उपज पर पड़ने वाली क्षति को रोक पाना लगभग असंभव है। मगर सरकारी तंत्र को मौसमी मार के पूर्व व उपरांत की समस्याओं से जूझने के तरीके सलीके से इख्तियार करने होंगे।



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