राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष समारोहों की शुरुआत आगामी दो अक्टूबर को विजयादशमी के कार्यक्रम के साथ होगी जिसे संघ प्रमुख मोहन भागवत संबोधित करेंगे और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि होंगे।

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आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने सोमवार को यहां रेशमबाग में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संघ के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में कार्यक्रम 2026 में विजयादशमी तक आयोजित किए जाएंगे।
आंबेकर ने कहा, ‘‘2 अक्टूबर को विजयादशमी कार्यक्रम में भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि होंगे और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत दुनिया भर के स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे। बजाज फिनसर्व के अध्यक्ष संजीव बजाज, डेक्कन इंडस्ट्रीज के केवी कार्तिक और लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कालिता कार्यक्रम में विशेष आमंत्रित हैं।’’
उन्होंने बताया कि 2 अक्टूबर के कार्यक्रम में घाना, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड, इंडोनेशिया, ब्रिटेन और अमेरिका के अतिथि भी शामिल होंगे, जिसे विदेशी मीडिया द्वारा कवर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश भर में आयोजित होने वाले शताब्दी वर्ष समारोहों के लिए आरएसएस स्वयंसेवकों में जबरदस्त उत्साह है।
उन्होंने कहा कि सरसंघचालक भागवत और महासचिव दत्तात्रेय होसबाले शताब्दी वर्ष के दौरान देश में संघ के अनुसार चिह्नित सभी प्रांतों का दौरा करेंगे।
आंबेकर ने बताया कि अगस्त में दिल्ली में आयोजित आरएसएस प्रमुख भागवत के तीन दिवसीय ‘संवाद’ कार्यक्रम की तर्ज पर बेंगलुरु, कोलकाता और मुंबई में भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
इस वर्ष 7-8 नवंबर को बेंगलुरु में, 21 दिसंबर को कोलकाता में और 6 व 7 फरवरी को मुंबई में दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। संगठन के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख ने यह जानकारी दी।
आंबेकर ने बताया कि प्रसिद्ध गायक-संगीतकार शंकर महादेवन 28 सितंबर को नागपुर में एक कार्यक्रम में ‘संघ गीत’ प्रस्तुत करेंगे।
उन्होंने कहा कि डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में नागपुर में ‘व्यक्ति निर्माण’ के उद्देश्य से आरएसएस की स्थापना की थी।
आंबेकर ने कहा, ‘‘आरएसएस की 83,000 से ज़्यादा दैनिक शाखाएं और 32,000 साप्ताहिक शाखाएं हैं। शताब्दी वर्ष के दौरान, आरएसएस 'गृह संपर्क' अभियान के माध्यम से देश भर के नागरिकों तक पहुंचकर उन्हें अपनी विचारधारा और कार्यों से अवगत कराएगा। इसी तरह, देश भर में एक लाख से ज़्यादा जगहों पर 'हिंदू सम्मेलन' भी आयोजित किए जाएंगे।’’
भारत की 100 साल की यात्रा और अगले 100 वर्षों के दृष्टिकोण के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि वह एक गौरवशाली देश देखते हैं जिसके नागरिक खुश हैं और जो वैश्विक ज़िम्मेदारी ले रहा है।
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