शारदीय नवरात्र : प्रथम शैलपुत्री
Last Updated 22 Sep 2025 08:25:57 AM IST
वन्दे वांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्।।
![]() शारदीय नवरात्र : प्रथम शैलपुत्री |
मां दुर्गा अपने प्रथम स्वरूप में शैलपुत्री के नाम से जानी जाती हैं।
पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा।
माता शैलपुत्री अपने पूर्व जन्म में सती के नाम से प्रजापति दक्ष के यहां उत्पन्न हुई थीं और भगवान शंकर से उनका विवाह हुआ था।
मां शैलपुत्री वृषभ पर सवार हैं। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित हैं।
पार्वती एवं हैमवती भी इन्हीं के नाम है।
मां शैलपुत्री दुर्गा का महत्व एवं शक्तियां अनंत हैं।
नवरात्र पर्व पर प्रथम दिवस इनका पूजन होता है।
इस दिन साधक अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करके साधना प्रारम्भ करते हैं।
इससे मन निश्छल होता है और काम-क्रोध आदि शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
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